माथे पे तेरे ‘एक‘ शिकन तो रही होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
ज़हन मैं जो भी शिकवे थे तेरे
मेरे मातम से उसमे कमी तो हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
आज़ाद होने की चाह थी तेरी शायद
पर होने से आज़ुर्दगी ज़रूर हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
सीने से लगाना चाहता था तुझे
ऐसी तमन्ना तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
वक़्त कितनी रफ़्तार से कट गया
ये खलिश तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
ना आने की वजह मत पूछ
क्योँ? इल्तिहाब से तकलीफ हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
शोख हवाओं के साथ जवाब भेजा था मैंने
तेरी चाँद से बात करने की कोशिश हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
खुद को ख़तम करने का सोच लिया था
पर मेरी सलामती की फ़रियाद तेरे मन मैं हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
उस दौरान विराना फैल रहा था
तेरे भी दिल मैं बेचैनी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
अश्कों से दोस्ती होने लगी
तेरी आँखें भी नम हुईं होंगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तबसे हवा कानो मैं सरगोशी है करती
तेरे लबों से मुझे पुकारती आवाज़ हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
कितने अरमान लगा बैठा था मै भी
तेरी भी कोई एक हसरत दफ़न हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
बहुत सोचता हूँ तुम्हारे बारे मैं
तेरी भी सोच कहीं मुझपर टिकी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
एक अंग की कमी महसूस करता हूँ तबसे
तुझे भी कोई सज्जा मुकम्मल हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
सोचकर डरता हूँ कैसा रहा होगा वो मंज़र
तेरी आँखें भी खौफ्फ़ज़अदा हुई होंगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तेरा चेहरा आँखों के आगे अक्सर उभरता है
तेरी आत्मा किसी डोर के ज़रिये मुझसे जुडी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
मेरे पास जताने के लिए अलफ़ाज़ नहीं
तुझे भी बताने के लिए शब्दों की कमी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तेरी राह देखा करता हूँ मैं
मुकाम तक पहुंच कर तुझे भी ख़ुशी ना हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
उस वक़्त नपुंसक की तरह बेबस रहा
ये देख तुझे मुझपर रिक्कत हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
पूरी कायनात मैं तनहा हूँ तेरे बिना
ऐसी हालत तेरी भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
खबर सुनते ही पैरों तले ज़मीन निकल गयी
ऐसी पेचीदगी तुझे भी महसूस हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
खुदा के होने पर मुझे शुबह होता है
उस वक़्त ये सोच तेरी शर्तिया रही होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तस्सवुर मैं तेरा निशाँ ढूँढता हूँ
ऐसी जुस्तजू तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
आखिर हद होती है रंज की
दुहाई ये तेरे भीतर भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
सियाही मैं शहाब को ढूँढता हूँ
तेरी परछाई रौशनी मैं कहीं छुपी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तेरे ख्यालों मैं गश खाकर सोता हूँ
तेरी देह भी मेरे बारे मैं सोचते हुए ख़ाक हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
किस्मत पर मेरा जोर नहीं
तेरी हिम्मत भी मुकद्दर से पराजित हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
हमराही मेरा भी और कोई नहीं
तेरा हमसफ़र भी मईयत ही साबित हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
दिल का आलम तनहा है मेरा अब
तुझे भी यही परेशानी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तुझसे ठीक से गुफ्तगू ना कर पाया
ये गलती तुझसे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
किसी दिन प्यार का ज़िक्र करना चाहता था तुझसे
ये उम्मीद मुझसे तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तेरे बिन जीवन मैं मिठास नहीं
कड़वाहट तो तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
मुझे तेरे स्पर्श का आभास होता है
तेरी रूह भी मेरे करीब से गुज़रती खुश हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
रूबरू तुमसे बात करने की जी चाहता है
तेरे लबों पर भी यही गुजारिश हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
यही सोच सोच कर खुश होता हूँ
तुझे भी ऐसी तस्सली हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
वक़्त के साथ तेरी तस्वीर धुंधली ना हो
यही कोशिश करने की तजवीज़ तुझे भी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तुझे याद करने का हक़ है मुझे
तेरी चाह भी इसी बुनियाद पर तनी और रंजीत हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
होश मैं आने को मन नहीं करता
तेरी हस्ती भी मेरा ख़याल करते हुए बेहोश हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
कुछ और हासिल करने का अब दिल नहीं
तेरी भी अब तलाश ख़त्म हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
सब कुछ ठुकराऊं तुम्हे पाने के लिए
तेरी छह भी ऐसा करने को तैयार हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
किसी को अंदाजा नहीं तेरी कीमत का
तुझे ही मालुम था तेरी कीमत मेरे लिए बेनज़ीर हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
बीते पल याद आते हैं मुझे
तुझे भी उन लम्हों से दिल्लगी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
मेरी सोच तुझपर ख़त्म होती है
तुने भी कोई ऐसी सीमा खींची हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तेरी यादें मेरे पन्नो पर शब्दबद्ध हैं
तेरी सियाही भी मुझपर खर्च हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
आज मेरी सोच ख़त्म नहीं हो रही
तेरी रूह मेरे ख्यालों में डूबी हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
मेरे बुलाने पर पहली बार तू ना आया
तेरी रूह ज़रूर मरकर अमर हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
तुझसे मिलने एकदिन ज़रूर आऊँगा
मेरे इंतज़ार में तेरी रूह ख़ुशी से पागल ज़रूर हुई होगी
मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!
सफाई देने की ज़रुरत नहीं है तुझे सुधांशु
क्यूंकि “जानता हूँ में!!”
“मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी….मुझसे मिलने की आरज़ू तूने की होगी!!”